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नर्सिंग होम एक्ट : टेम्परेरी नंबर के सहारे उड़ रही नियमो की धज्जियां । विभाग को खबर तक नही

नर्सिंग होम एक्ट का पालन में हॉस्पिटल नियमों की धज्जियां उड़ाए जा रहा है पर  स्वास्थ्य विभाग को इस बात की खबर तक नही कि कई हॉस्पिटल सिर्फ टेम्परेरी नंबर लेकर पूरा अस्पताल चला रहे है बल्कि विभाग द्वारा ही जानकारी दी गई है कि सिर्फ OPD चलाया जा सकता है ऑपरेशन नही कर सकते ।  कोई भी व्यक्ति अस्पताल खोलने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के बाद अस्पताल और क्लीनिक खोलकर बैठ जा रहा है और ऑनलाइन आवेदन करते हुए मिले टेम्प्ररी नंबर को ही लाइसेंस मिला मानकर इलाज करना शुरु कर दे रहे हैं। यहाँ तक कि ऑपरेशन भी कर रहे है ।

विडंबना यह है कि टेम्परी लाइसेंस के सहारे ही साल साल  निजी अस्पताल संचालित हो रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के पास इतना समय नहीं है तभी तो सालों से ऐसे निजी अस्पताल चलते आ रहे हैं। जबकि नियमानुसार अगर अस्पताल चलाने के लिए सारे दस्तावेज और डिग्री सही है तो उसे स्थायी लाइसेंस जारी किया जाता या फिर योग्यता नहीं है तो अस्पताल को सील करना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है । न तो उसे स्थायी लाइसेंस जारी हो रहा है और न ही किसी तरह की कार्रवाई हो रही है और धड़ल्ले से ऐसे फर्जी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। स्थिति यह है कि कई अस्पताल-क्लीनिक सिर्फ टेम्परेरी नंबर लेकर  इलाज करना चालू कर देते है 
टेम्परेरी नंबर में नही है ऑपरेशन करने का नियम फिर भी हॉस्पिटल मरीजों के जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। जबकि कई बार डॉक्टरों के इलाज से मौत तक की घटना हो चुकी है लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि अस्पतालों को किसी प्रकार का भय नही है
दरअसल, इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी बड़ी वजह है। नर्सिंग होम एक्ट के तहत ऑनलाइन मिले आवेदनों की जांच करने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम संबंधित संस्थान का भौतिक सत्यापन करती है। आवेदन के दौरान लगाए गए दस्तावेजों और डॉक्टरों की डिग्री की जांच करती है। सारे दस्तावेज सही मिलने के बाद फिर स्थायी लाइसेंस के लिए फाइल आगे बढ़ती है और कलेक्टोरेट से स्थायी लाइसेंस नंबर जारी होता है। लेकिन यहां स्थिति यह है कि ऑनलाइन मिले आवेदनों का भौतिक सत्यापन की फाइल सालों तक लंबित रहती है। इधर आवेदन करने के बाद जो टेम्परी रजिस्टर्ड नंबर मिलता है उसी को लाइसेंस मानकर अस्पताल खोल देते हैं और इलाज करते हैं। टेम्परी नंबर भी छह माह के लिए वैध होता है लेकिन यहां तक सालों तक इसकी जांच करने कोई नहीं पहुंचता।

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