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फाइव स्टार होटलों की शान देशी फूड

 


 देशी फूड हर फाइव स्टार होटलों के मेन्यू का हिस्सा हो गया है. मोटे अनाज से तैयार डिश ‘मिलेट फूड’ के नाम से मिलने लगी है. लखनऊ होटल  में खाने के तमाम तरह के स्वाद वाली डिश उपलब्ध थी. सब से अधिक लोग चाय के साथ पकौड़ी ही पंसद कर रहे थे. पकौड़ी भी तमाम अलगअलग स्वाद वाली थी. देशी फूड को प्रमोट करने और अपने यहां रूकने वालों को बताने के लिए फाइव स्टार होटल देश फूड के अलगअलग फेस्टिवल भी लगाते हैं. देशी फूड में चोखा बाटी से ले कर छोला भटूरा तक शामिल हो गया है. चाय के साथ पकौड़ी पंसद की जाने लगी है. हर होटल में चाट का कार्नर अलग से खुलने लगा है. यहां पानीपूरी, आलू टिक्की, मटर और दही भल्ले मिलने लगे हैं.

होटल ताज का अपना रेस्त्रां ही अवधयाना के नाम से है. इस के नाम से ही जाना जा सकता है कि यहां अवधी खाना मुख्यरूप से होता है. इस में नौनवेज और वेज दोनों ही तरह के खाने शामिल है. दाल चावल से ले कर लखनवी कबाब यहां मिलते हैं. यहां पपड़ी चाट, दही बडा, ठंडाई, मेवा लस्सी, कबाब और दाल तड़का जैसी देशी डिश का आनंद ले सकते हैं.

उत्तर भारत और पंजाबी फूड के साथ ही साथ दक्षिण भारत की इडली, सांभर, डोसा भी फाइव स्टार होटलों के मेन्यू का हिस्सा बन गया है. मुम्बई का वडापाव, पाव भाजी भी लोग पंसद कर रहे हैं.

इसी तरह से अब राजस्थानी और गुजराती डिश भी फाइव स्टार होटलों तक पहुंच गई है. वैसे यह सभी स्ट्रीट फूड का हिस्सा होती थी. आज भी सड़क किनारे चटखारे ले कर खाने वालों की संख्या कम नहीं है.

नोवाटेल होटल के जनरल मैनजर राहुल नामा कहते हैं ‘फाइव स्टार होटल में रुकने वाले अब अपने घर जैसा खाना पसंद करते हैं. ऐसे में जब उस को होटल में अपने घर जैसा खाना मिलता है तो वह उसे खाना पहले पंसद करते हैं. ऐेसे में हम इस बात का ख्याल रखते हैं कि हर राज्य का टेस्टी फूड अपन मेन्यू में शामिल करें. इस के साथ ही साथ सीजन के हिसाब से भी खाने को मेन्यू का हिस्सा बनाते हैं.’

नोवाटेल में जिमीकंद कबाब, दही कबाब जैसे कई स्वाद मेन्यू का हिस्सा बने हैं. ‘द ऐज’ होटल नोवाटेल के कैफे है. रूफ टौप रेस्त्रां है. खुले में खाने का अलग ही आनंद मिलता है. यहां पर चाय, दही के कबाब, पनीर टिक्का, मुर्ग मलाई टिक्का, गलावटी कबाब और कई तरह के देशी डिश है. ‘द स्क्वायर’ रेस्त्रां है. यहां पर डोसा, इडली, पराठा के साथ तमाम तरह के खाने का स्वाद लिया जा सकता है.

असल में पहले फाइव स्टार लोगों तक उन की ही पहुंच थी जो अमीर थे अब देशी फूड को गवंई खाना समझते थे. ऐसे में वह विदेशी फूड बहुत सम्मान के साथ खाते थे. अब देशी मिट्टी को पसंद करने वाले भी फाइव स्टार होटलों में रुकने लगे हैं. जो देशी खाने की मांग करते है. ऐसे में फाइव स्टार या उस जैसे छोटेबड़े होटल भी देशी खाने को अपन मेन्यू में केवल शामिल ही नहीं कर रहे, बड़े फक्र के साथ बताते भी हैं कि हमारे यहां देशी फूड भी है.

अगर स्वास्थ्य की नजर से देखें तो भी मैदा और मैदे से बनी चीजें लोग खाने में कम पसंद करने लगे हैं. यह लोग जब होटल पहुंचते हैं तो मोटे अनाज से बनी चीजें तलाश करते हैं.

ज्वार, बाजरा, चना और मक्का से तैयार होने वाली डिश खाना पंसद करते हैं. फाइव स्टार होटल में यह ‘मिलेट फूड’ के नाम से मिलने लगा है. जो मजा जलेबी में है वह बेकरी फूड में नहीं होता है.

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